रायगढ़ :- रायगढ़ की धरती पर अदानी ग्रुप की साजिशों ने लोकतंत्र और जनता के हक को कुचलने की खतरनाक मंशा उजागर कर दी है। महाजेनको कोल ब्लॉक को हथियाने के लिए अदानी की एमडीओ कंपनी ने फर्जी ग्रामसभा का घिनौना खेल रचा, पैसे के बल पर खरीदे गए दलालों को ‘ग्रामीण’ बनाकर कलेक्ट्रेट में खदान शुरू करने की मांग रखी। मगर रायगढ़ के जागरूक ग्रामीणों ने इस कपट को बेनकाब कर दिया। बुधवार को मुड़ागांव में 12 गांवों के सैकड़ों ग्रामीणों ने विशाल सभा बुलाकर अदानी की साजिशों पर करारा प्रहार किया और शासन से निष्पक्ष जांच की मांग की। चेतावनी गंभीर है—मांगें न मानी गईं, तो सड़कें आंदोलन की आग से धधक उठेंगी!
फर्जी ग्रामसभा: जनता की आवाज दबाने की साजिश
अदानी ग्रुप ने पैसे के दम पर कुछ दलालों और तथाकथित ‘ग्रामीणों’ को आगे कर कलेक्ट्रेट में खदान चालू करने की नौटंकी रची। लेकिन मुड़ागांव, सराईटोला, कुंजेमुरा, पाता, बांधापाली, चित्तवाही, रोडोपाली, खम्हरिया, मिलूपारा, गारे, कोसमपाली और बागबाड़ी के असली ग्रामीणों ने इस फर्जीवाड़े का पर्दा फाड़ दिया। महासभा में सरपंचों, पंचों, बीडीसी सदस्यों और सैकड़ों ग्रामीणों ने एकजुट होकर कहा, “हमारी जल, जंगल, जमीन की लूट बर्दाश्त नहीं होगी। फर्जी ग्रामसभा का ढोंग हमारी आवाज को कुचल नहीं सकता!” ग्रामीणों ने खुलासा किया कि तमनार थाने, एसपी रायगढ़, और कलेक्टर के पास बार-बार शिकायतें दर्ज की गईं, लेकिन प्रशासन की चुप्पी ने सवाल खड़े कर दिए। कलेक्टर ने तो साफ कह दिया कि मामला उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर है। एक ग्रामीण नेता ने गंभीर लहजे में कहा, “प्रशासन की यह उदासीनता लोकतंत्र पर धब्बा है। क्या अदानी का रसूख कानून से बड़ा हो गया है?”
चौथे स्तंभ पर हमला: लोकतंत्र की नींव पर प्रहार
मामले ने और गंभीर मोड़ लिया जब पत्रकारों पर हमले की खबर सामने आई। ग्रामीणों की आवाज को बुलंद करने वाले पत्रकारों को अदानी के गुंडों ने निशाना बनाया—धमकियां दीं, मारपीट की, और उनकी आवाज दबाने की कोशिश की। यह हमला सिर्फ व्यक्तियों पर नहीं, बल्कि लोकतंत्र के चौथे स्तंभ—स्वतंत्र प्रेस—पर सीधा आघात है। ग्रामीण महिला राधा बाई ने गुस्से में कहा, “पत्रकार हमारी पीड़ा को उजागर कर रहे थे, लेकिन उन्हें भी कुचलने की साजिश हो रही है। अगर प्रेस की आवाज दबेगी, तो जनता का हक कौन उठाएगा?” यह सवाल अब हर गली-चौराहे पर गूंज रहा है—क्या अदानी की ताकत इतनी बेलगाम हो चुकी है कि वह प्रेस की स्वतंत्रता को भी रौंद दे?
पुलिस की रहस्यमयी चुप्पी: कानून की खामोशी क्यों?
सबसे गंभीर सवाल है—पुलिस और प्रशासन की चुप्पी का राज क्या है? फर्जी ग्रामसभा, गुंडागर्दी, और पत्रकारों पर हमले जैसे संगीन अपराधों पर न तो FIR दर्ज हुई, न कोई कार्रवाई। तमनार थाने और एसपी कार्यालय में बार-बार शिकायतें दी गईं, मगर कोई सुनवाई नहीं। क्या पुलिस किसी दबाव में है? क्या मामला दबाने की साजिश रची जा रही है? एक ग्रामीण ने तल्ख लहजे में कहा, “कानून अगर अंधा, बहरा, और लंगड़ा हो गया है, तो जनता सड़कों पर उतरेगी। इस चुप्पी की जिम्मेदारी प्रशासन और अदानी की होगी!” पुलिस की निष्क्रियता अब संदेह के घेरे में है—क्या यह महज लापरवाही है, या ऊपर से आदेश हैं कि मामला दबाया जाए?
जनता का संकल्प: हक की लड़ाई अब और तेज
ग्रामीणों ने शासन से साफ मांग की—फर्जी ग्रामसभा रद्द हो, निष्पक्ष जांच हो, और पत्रकारों पर हमले के दोषियों को तुरंत सजा मिले। चेतावनी दी कि अगर उनकी आवाज दबाई गई, तो महाजेनको और अदानी के खिलाफ अभूतपूर्व आंदोलन होगा। रायगढ़ की जनता अब सवाल उठा रही है—क्या अदानी का कॉरपोरेट साम्राज्य कानून और लोकतंत्र से ऊपर है? क्या प्रशासन की चुप्पी किसी गहरी साजिश का हिस्सा है? अगर जल्द कार्रवाई नहीं हुई, तो रायगढ़ की सड़कें हक और सच की जंग का मैदान बनेंगी।
गंभीर सवाल जो जवाब मांगते हैं:
– फर्जी ग्रामसभा पर पुलिस की चुप्पी क्यों?
– पत्रकारों पर हमले की FIR क्यों नहीं दर्ज हुई?
– क्या प्रशासन और पुलिस अदानी के दबाव में हैं?
– क्या लोकतंत्र का चौथा स्तंभ खतरे में है?
रायगढ़ की जनता अब चुप नहीं रहेगी। यह लड़ाई सिर्फ जमीन की नहीं, बल्कि हक, सच, और लोकतंत्र की है। अगर शासन और पुलिस नहीं जागे, तो जनता की हुंकार गूंजेगी—’अदानी की साजिशें राख होंगी, जनता की ताकत जीतेगी!
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