Home राशिफ़लकिन चार चाीजों के बगैर अधूरी मानी जाती है सावन सोमवार की पूजा, जानें सिर्फ एक क्लिक में

किन चार चाीजों के बगैर अधूरी मानी जाती है सावन सोमवार की पूजा, जानें सिर्फ एक क्लिक में

by bhaskar@admin
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Sawan Somwar 2025 Shiva puja Tips- जिस श्रावण मास में पूजा, जप, तप आदि से भगवान शिव शीघ्र ही प्रसन्न होकर अपने भक्तों को मनचाहा आशीर्वाद प्रदान करते हैं, उस सावन महीने का आज आखिरी सोमवार है. ऐसे में इस दिन हर शिव भक्त देवों के देव महादेव को मनाने के लिए तमाम तरह से पूजा और उपाय आदि करने का प्रयास करता है, लेकिन क्या आपको पता है कि आपके द्वारा की जाने वाली पूजा तब तक अधूरी है जब तक उसमें शिव पूजा से जुड़ी चार पवित्र चीजें न शामिल हों. आइए औढरदानी शिव की उन प्रिय चार चीजों के बारे में विस्तार से जानते हैं.

सावन के सोमवार के दिन महादेव के निराकार स्वरूप यानि शिवलिंग की पूजा का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है. सनातन परंपरा में तमाम तरह के शिवलिंग की पूजा का अलग-अलग फल बताया गया है. यही कारण है कि प्रत्येक व्यक्ति अपनी आस्था के अनुसार विभिन्न पदार्थों और ​धातुओं आदि के शिवलिंग को पूजता है. जिन लोगों को आसपास कोई शिवालय नहीं मिलता है, वे पार्थिव शिवलिंग बनाकर अपने घर में उसकी विधि-विधान से पूजा करते हैं. हालांकि शिवलिंग के न उपलब्ध होने पर भी हमारे यहां मानस पूजा का विधान है.

गंगा जल 

श्रावण के पवित्र मास में लोग तमाम तरह से शिवलिंग का अभिषेक करते हैं. कोई दूध से तो कोई शहद से तो कोई पुष्प से तो कोई गन्ने के रस आदि से करता है, लेकिन सबसे आवश्यक जलाभिषेक माना गया है. हिंदू मान्यता के अनुसार भगवान शिव के जलाभिषेक की परंपरा पौराणिक काल से चली आ रही है. ऐसे में यदि आप भगवान शिव की पूजा का शुभ फल प्राप्त करना चाहते हैं तो आपको आज पवित्र गंगाजल या फिर जो भी उपलब्ध शुद्ध जल हो उसे पूरी भक्ति भाव के साथ अर्पित करें. हिंदू मान्यता के अनुसार पूरे श्रावण मास में शिवलिंग पर गंगाजल चढ़ाने वाले व्यक्ति पर शिव की असीम कृपा बरसती है.

बेलपत्र 

जिस श्रावण मास में चारों तरफ हरियाली बनी रहती है, उस श्रावण मास में देवों के देव महादेव को हरा बेलपत्र चढ़ाने का बहुत महत्व माना गया है. हिंदू मान्यता के अनुसार श्रावण मास के सोमवार को शिव पूजा के दौरान बेलपत्र को चढ़ाने से साधक के त्रिविध ताप यानि दैहिक, दैविक और भौतिक कष्ट दूर हो जाते हैं. उसे किसी भी प्रकार की बीमारी, दु:ख अथवा ग्रह-नक्षत्रों से संबंधित कष्ट का भय नहीं रहता है.

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