Home छत्तीसगढ़ननों की गिरफ्तारी के विरोध में प्रियंका गांधी का संसद के बाहर प्रदर्शन

ननों की गिरफ्तारी के विरोध में प्रियंका गांधी का संसद के बाहर प्रदर्शन

by bhaskar@admin
0 comments

दिल्ली: इन दिनों दो ननों की छत्तीसगढ़ में गिरफ्तारी को लेकर सियासत गरमाई हुई है। ननों पर आरोप है कि उन्होंने नक्सल प्रभावित नारायणपुर जिले की तीन आदिवासी लड़कियों को आगरा ले जाते समय धर्मांतरण और मानव तस्करी करने का प्रयास किया। इस मामले का विरोध करने के लिए कांग्रेस महासचिव और वायनाड सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने बुधवार को दिल्ली में संसद परिसर के बाहर प्रदर्शन किया। प्रियंका गांधी ने छत्तीसगढ़ की सरकार से दोनों नन को रिहा करने की मांग की।

उन्होंने कहा, “हम अल्पसंख्यकों पर इस तरह के हमले का विरोध कर रहे हैं। हम संसद में यह मुद्दा उठा चुके हैं और आज भी उठाएंगे। सच कहूं तो सरकार किसी भी चीज के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करती। मुझे सरकार से किसी कार्रवाई की उम्मीद नहीं है, लेकिन आवाज उठाना हमारा कर्तव्य है।” उन्होंने कहा, “यह बिल्कुल भी उचित नहीं है। ये भी महिलाएं हैं; उनके साथ दो या तीन महिलाएं और भी थीं। उन्हें इस तरह से बंधक बनाकर नहीं रखा जाना चाहिए, और आप लोगों पर उन चीजों का आरोप नहीं लगा सकते जो वे कर ही नहीं रहे हैं। हम अल्पसंख्यकों के खिलाफ इस तरह की सख्ती को खत्म करने की मांग कर रहे हैं। यह बिल्कुल भी उचित नहीं है। ये भी महिलाएं हैं। उनके साथ ऐसा व्यवहार नहीं होना चाहिए।”

दरअसल, 25 जुलाई को छत्तीसगढ़ के दुर्ग रेलवे स्टेशन से केरल की दो ननों (सिस्टर प्रीथी मैरी और सिस्टर वंदना फ्रांसिस) और एक अन्य व्यक्ति, सकुमन मंदावी, को गिरफ्तार किया गया। उन पर आरोप है कि उन्होंने नक्सल प्रभावित नारायणपुर जिले की तीन आदिवासी लड़कियों को आगरा ले जाते हुए मानव तस्करी और धर्म परिवर्तन करवाने की कोशिश की थी। एक स्थानीय बजरंग दल कार्यकर्ता की शिकायत के आधार पर ननों पर विभिन्न धाराएं लगाई गई हैं। वायनाड क्षेत्र में आए भूस्खलन के एक साल पूरे होने को लेकर प्रियंका ने कहा, “एक साल बीत जाने के बावजूद, उस त्रासदी से पीड़ित लोग अभी भी संघर्ष कर रहे हैं। हमारे सभी प्रयासों और मिली सभी मदद के बावजूद, वे अभी भी कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं।” वायनाड सांसद ने कहा, “कई व्यवस्थागत मुद्दे हैं और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि केंद्र सरकार द्वारा भेजी गई धनराशि ऋण के रूप में भेजी गई थी। पूरा मुद्दा उनकी वित्तीय समस्याओं में मदद करना था, तो वे इन ऋणों को कैसे चुकाएंगे? यह केंद्र सरकार के लिए एक छोटी राशि है और उन्हें इन ऋणों को माफ कर देना चाहिए।”

You may also like

Are you sure want to unlock this post?
Unlock left : 0
Are you sure want to cancel subscription?
-
00:00
00:00
Update Required Flash plugin
-
00:00
00:00